मैने ऊसको प्रेम किया आशिक समजुन...
और वह ऊतरली कोल्हापुरको नाशिक समजुन.
-कवी
. . . टॉयलेट ला गेलेत, येतील 😬😬
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मस्ती भरी संध्याकाळ है
थंङगार वारा सुटा है
मेरा स्वेटर भी फाटा है
अंग पे थंडी का काटा है
सत्ता मै हमारा वाटा है
वो मै घे के रंहूगा
ये मेरा वादा है
.
.
कवी-
...अजुन नाही आले 😜
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